तुम ऐसे निकलोगे कभी सोचा न था
आज फिर से घाव भर आए हैं
वह लौटकर फिर से मेरी गली आए हैं
क्यों आए हैं लौटकर जब रुकना न था
तुम ऐसे निकलोगे कभी सोचा न था
माना कुछ पल के लिए दूर था तुमसे
पर यह भी तो समझो मजबूर था खुद से
वह कुछ पल की दूर थी धोखा न था
तुम ऐसे निकलोगे कभी सोचा न था
तुमसे दूर रहकर कुछ अधूरा सा लगता है
सब कुछ होकर भी न कुछ पूरा सा लगता है
मैने तुमसे प्रेम किया था समझौता न था
तुम ऐसे निकलोगे कभी सोचा न था
तुमसे मिलने से पहले कुछ भी अच्छा न था
तुम्हारा प्रेम शायद मेरे लिए सच्चा न था
माना खुशियां पहले कम थी पर रोना न था
तुम ऐसे निकलोगे कभी सोचा न था
शोभित कटियार💔💔
Aliya khan
27-Aug-2021 03:02 AM
Bahut khoob
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SHOBHIT KATIYAR
27-Aug-2021 05:40 AM
Thanks ☺️
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Swati chourasia
25-Aug-2021 01:19 PM
Nice 👌
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SHOBHIT KATIYAR
25-Aug-2021 08:09 PM
Thanks ☺️
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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
25-Aug-2021 09:07 AM
Nice
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SHOBHIT KATIYAR
25-Aug-2021 10:06 AM
Thanks ☺️
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